bhimkund क्यों है इतना रहस्यमयी | भीमकुण्ड की गहराई कितनी है ? | Bhimkund mystery | Mystery in hindi

भारत एक ऐसा देश है जो अपनी अद्भुत कला संस्कृति आध्यात्म और अनूठी भौगोलिक संरचना के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यही नहीं यहां का इतिहास अपने आप में कई रहस्य को समाए हुए हैं। जिसमें से एक है Bheemkund (भीमकुंड) ऐसा कुंड जिसकी गहराई का आकलन आज तक कोई नहीं कर पाया। बड़े से बड़े वैज्ञानिक इसके रहस्य को समझने में असमर्थ रहे। आखिर इस कुंड का ऐतिहासिक रहस्य क्या है…

Science चाहे कितनी भी तरक्की कर ले लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका रहस्य कोई नहीं जान पाया। ऐसा ही कुछ Bheemkund (भीमकुंड) के साथ हुआ जब बड़े से बड़े वैज्ञानिक इसकी गहराई नापने में नाकामयाब रहे। मध्य प्रदेश के छतेहपुर जिले के बजना गांव में स्थित है Bheemkund (भीमकुंड)। यह कठोर चट्टानों की गुफा के बीच बना है। प्राचीन समय से ही यह जगह साधना का प्रमुख केंद्र रही है। यहां बड़े से बड़े ज्ञानी तपस्वी ऋषि-मुनियों ने साधना की है। वर्तमान में ये कुंड एक tourist (पर्यटक) और रिसर्च का केंद्र बन गया है। इसके बारे में कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि Bheemkund (भीमकुंड) एक शांत ज्वालामुखी है। Bheemkund (भीमकुंड) की एक कहानी महाभारत से भी जुड़ी है।
 
bheemkund | bhimkund

 

कहते हैं कि कौरवों से हारने के बाद पांडव अज्ञातवास के लिए निकल पड़े। जंगल के रास्ते से गुजरते वक्त द्रौपदी को प्यास लगी और पाँचो भाइयो ने मिलकर पानी की खोज की। लेकिन जंगल में पानी कहां से मिलता। लंबी दूरी तय करने पर द्रोपदी को और तेज़ प्यास लगने लगी। प्यास के मारे सभी पांडवों का बुरा हाल हो गया। काफी मशक्कत के बाद जब कोई उपाय नहीं सूझा तो भीम ने गुस्से में गदा उठाकर जमीन पर जोर से दे मारा जिससे जमीन से पानी निकल पड़ा फिर द्रोपदी समेत पांच पांडवों ने अपनी प्यास बुझाई तभी से इसका नाम Bheemkund (भीमकुंड) पड़ गया। दूसरी कहानी के मुताबिक इस जलकुंड को नारदकुंड और नीलकुण्ड के नाम से भी जाना जाता है। एक बार की बात है जब नारदजी आकाश में घूम रहे थे तभी उन्हें एक महिला और पुरुष घायल अवस्था में मिले जब उनकी बुरी दशा का कारण पूछा तो उन दोनों ने बताया कि वह संगीत के राग रागिनी है। वे तभी ठीक हो सकते हैं जब संगीत कला में माहिर गायक शाम गान गाय। फिर क्या था नारदजी उस कला में माहिर थे। उन्होंने बिना रुके शाम गान गाना शुरू कर दिया। इतना मधुर गायन सुनकर देवता लोग खुशी से झूमने लगे। गायन से विष्णु भगवान इतने मंत्रमुग्ध हो की वो एक जल कुंड में परिवर्तित हो गए। तभी से इसका रंग नीला हो गया। इस तरह यह जलकुंड निल और नारद कुंड के नाम से जाना जाने लगा।
Bheemkund (भीमकुंड) चट्टानी पहाड़ पर एक गुफा के अंदर है इसका पानी इतना साफ सुथरा है कि जब सूरज की किरणे यहाँ पड़ती हैं तो इसका पानी अपने अनोखे रूप में दिखाई देता है। पानी में रंगों के कई रूप देखने को मिलते हैं। भीम कुंड का पानी इतना साफ सुथरा और पारदर्शी है कि काफी गहराई तक की चीज़े आसानी से देखी जा सकता हैं। इसके पानी की तुलना mineral water से की जाती है। यही वजह है कि Bheemkund (भीमकुंड) अपने आप में अद्भुत है जो अपने भीतर कई रहस्य समाये हुए हैं।
 
 
1. सबसे बड़ा रहस्य यह है कि आज तक कोई भी इसकी गहराई नाप नहीं सका है। बड़े से बड़े वैज्ञानिक और गोताखोर इसकी गहराई नापने में असफल रहे। जब इस रहस्यमयी जलकुंड की खबर बिदेशी चैनलों को मिली तो Discovery channel की एक team India आ पहुंची। team अपने साथ कई गोताखोरों को साथ में ले थी। उन्होंने कई बार डुबकी लगाई लेकिन कुछ हाथ ना लगा। वो इसके रहस्य और गहराई का सही आकलन लगाने में असफल रहे। उन्हें कोई सबूत नहीं मिला।
 
2. कई बार ऐसा होता है की नदि या तालाब में नहाने गए लोग डूब जाते हैं। जिसके बाद मृत शरीर पानी में तैरते हुए ऊपर आ जाता है। लेकिन Bheemkund (भीमकुंड) में ऐसा नहीं है। ये इतना विचित्र है कि अगर कोई इसके पानी में डूब जाए तो उसका मृत शरीर कभी ऊपर नहीं आता। वो अद्रिश्य हो जाता है या कहीं गुम हो जाता है।
 
3. जैसा कि हमने पहले भी बताया कि यह कुंड अपने आप में कई रहस्यों की खदान है। किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा या अनहोनी का संकेत इस कुंड में आसानी से देखा जा सकता है। वहा के लोग बताते हैं कि इस कुंड का जलस्तर अचानक से बढ़ने लगता है। वहीं यह भी कहा जाता है कि भूकंप और सुनामी जैसे आपदा आने के संकेत इसमें साफ साफ दीखते है। सुनामी के दौरान इस कुंड का पानी 15 feet तक ऊपर उठ गया था। यहां के स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उन्हें किसी आपदा का पता पहले ही लग जाता है।
 
4. कहते है न जो जहां रहता है उसे उस जगह के बारे में ज्यादा जानकारी होती है। इसी के चलते Bheemkund (भीमकुंड) के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि रहस्यमई Bheemkund (भीमकुंड) का पानी कभी कम नहीं होता। भरपूर मात्रा में पानी का इस्तेमाल होने के बावजूद कुंड के पानी का level (अस्तर) कभी नहीं घटता। कई बार खोज भी की गई लेकिन इसके पानी के स्रोत का पता नहीं चल पाया। कोई नहीं जानता कुंड की गहराई कितनी है।
 
कहते हैं इसकी गहराई का पता लगाने के लिए समय-समय पर गोताखोरों को यहां भेजा जाता है लेकिन कुछ हासिल नहीं होता। जब गोताखोर ऐसा करके थक गए तो प्रशासन ने भीम कुंड के पानी को पंप की मदद से खाली करने की योजना बनाई। यह काम कई दिनों तक जारी रहा लेकिन कुंड के पानी के स्तर में कोई कमी नहीं आई। काफी खोज के बाद के तेल का किसी को पता नहीं चला। हालाँकि 80 फीट की गहराई में पहुंचने पर गोताखोरों को 23 जल की धाराएं मिली जिनका link (संपर्क) सायद समुद्र से जुड़ा है। बताते हैं कि इसकी गर्त में दो कुंड है जिसमे एक से पानी निकलता है और दूसरे में भरता है। सायद इसी वजह से कुंड में पानी का बहाव तेज रहता है और कभी कम नहीं होता।
 
तो आप समझ ही गए होंगे की Bheemkund (भीमकुंड) अपने आप में कितना रहस्यमयी है जिसे आजतक Science भी नहीं समझ पाया
तो कैसा लगा आपको हमारे इस Bheemkund mystery | An unsoved mystery behind bhimkund का analysis आप चाहे तो हमारे Website को भी Follow कर सकते है हमारे नए post की जानकारी के लिए

 



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