दिमाग को चकरा देने वाले ५ पैराडॉक्स | 5 Amazing Paradox

पैराडॉक्स यानी ऐसे सवाल जो विरोधाभास पैदा करते हैं। इन सवालों का कोई एक निश्चित जवाब नहीं दिया जा सकता। पैराडॉक्स वह प्रश्न होते हैं जो सत्यता के आधार पर खड़े होते हैं। लेकिन उसका जवाब स्वीकार न किया जाने वाला और विरोधाभासी होता है। पैराडॉक्स को कई लोग अमान्य तर्क भी कहते हैं लेकिन यह स्वीकृत तक हमारी सोच को बढ़ावा देते हैं और इंसान की बुद्धि को बढ़ावा देने के लिए तथा किसी भी चीज के बारे में बारीकी से सोचने के लिए यह पैराडॉक्स बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। तो चलिए आज बात करते है दिमाग को चकरा देने वाले ५ पैराडॉक्स | 5 Amazing Paradox के बारे में

दिमाग को चकरा देने वाले ५ पैराडॉक्स | 5 Amazing Paradox
दिमाग को चकरा देने वाले ५ पैराडॉक्स | 5 Amazing Paradox

1. Liar’s Paradox

Liar’s Paradox इस पैराडॉक्स के अनुसार अगर कोई इंसान कहता है कि वह झूठ बोल रहा है। या फिर वह जो कुछ भी कहता है वह सब झूठ है। तो अब सच में वो रोजाना झूठ ही बोलता है तो उसके कहीं झूठ बोलने वाली बात सच है। और इस हिसाब से तो वह हमेशा झूठ नहीं बोलता।

क्योंकि वह रोजाना झूठ बोलता है ऐसा कह कर उसने एक सच बोल दिया। तो यह बात उसके विधान से विरोधाभास पैदा करती है। जिसे Liar’s Paradox कहते हैं।

2. The Omnipotence Paradox

The Omnipotence Paradox का मतलब होता है सर्वशक्तिमान। कहा जाता है कि इस पैराडॉक्स को Averroes नाम के फिलोसोफरने 12 वीं शताब्दी में रचा था।

Omnipotence Paradox के अनुसार मान लो कि भगवान सर्वशक्तिमान है और क्योंकि भगवान सर्वशक्तिमान है इसलिए भगवान एक ऐसा पत्थर बना सकते हैं जो इतना भारी है कि उसे दुनिया में कोई भी नहीं उठा सकता। खुद भगवान भी नहीं। और अगर सर्वशक्तिमान होने के कारण भगवान खुद इस पत्थर को नहीं उठा सकते तो उनका सर्वशक्तिमान होने का कथन गलत साबित होता है।

और अगर उस पत्थर को भगवान उठा सकते तो इसका मतलब यह हुआ कि वह एक ऐसा पत्थर नहीं बना सकते जिसे कोई ना उठा सके। तो इस तरह से यह पहला बयान दूसरे बयान से और दूसरा बयान पहले बयान से विरोधाभास पैदा करता है। इस दिमाग चकरा देने वाली गुत्थी को Omnipotence Paradox कहते हैं।

3. Paradox Of The Court

इस पैराडॉक्स के अनुसार एक लड़के को वकालत सीखनी थी। लेकिन उसके पास उतने पैसे नहीं थे। तो वो एक प्रोफ़ेसर के पास गया और उनको प्रार्थना किया की वो उसे वकालत सिखायें। लेकिन वह उनकी फीस तब देगा जब वह वकील बनकर अपना पहला केस जीत जाएगा।और प्रोफेसर ने इस विद्यार्थी की बात मान ली और उसे वकालत सीखा दी।

अब एग्जाम को फाइट करके किसी तरह वो लड़का वकील तो बन गया लेकिन उसके बाद कभी भी वो एक केस भी नहीं लड़ा। और जब प्रोफ़ेसर ने फीस मांगी तो उसने पैसे देने से इनकार कर दिया। क्योंकि शर्त के अनुसार विद्यार्थी अपने पहले केस को जीतने के बाद शिक्षक को उनकी फीस देने वाला था। और अब तक वह कोई केस लड़ा नहीं था।

अब प्रोफेसर ने अपनी फीस लेने के लिए कोर्ट में उस विद्यार्थी के ऊपर केस कर दिया। और कोर्ट में कहा कि अगर ये केस मैं जीतता हूं तो कोर्ट के नियम के अनुसार इसे मुझे मेरे पैसे देने होंगे। और अगर मैं अपना केस हार जाता हूं फिर भी इस लड़के को मुझे मेरे पैसे देने होंगे। क्योंकि शर्त के अनुसार उसे अपनी पहली केस जीतने पर मुझे वकालत दिखाने की मेरी फीस देनी होगी।

अब आप सोच रहे होगे कि इसमें कौन सा पैराडॉक्स है यहां तो लगता है कि किसी भी हालत में उस विद्यार्थी को प्रोफेसर को पैसे देने ही देने हैं। लेकिन अपनी सोच पे जरा और जोर दीजिये और गुत्थी को समझने की कोशिश करें। अब विरोधाभास उस लड़के के स्टेटमेंट में उत्पन्न होता है। उस लड़के का कहना यह है कि अगर मैं केस जीत जाता हूं तो कोर्ट के नियम के अनुसार इस केस को मैंने जीता है इसलिए मुझे प्रोफ़ेसर को पैसे देने की जरूरत ही नहीं है। और अगर यह केस में हार जाता हूं। तो भी प्रोफेसर को मुझे उनकी फीस देने की जरूरत नहीं है।

क्योंकि हमारी शर्त में यह तय हुआ था कि अगर मैं अपना पहला केस जीत लूंगा तो ही में उनके फीस के पैसे दूंगा। इस तरह प्रोफेसर और वह विद्यार्थी अपनी अपनी कही बातों से पैराडॉक्स पैदा करते हैं। इस पैराडॉक्स का आविष्कार पौराणिक ग्रीस के फिलॉसोफेर्स ने किया था।

4. The Grandfather Paradox

यह पैराडॉक्स काफी मशहूर और चर्चित है क्योंकि यह time travel से जुड़ा हुआ है। इस पैराडॉक्स के अनुसार मान लीजिये कि कोई इंसान अपने भूतकाल में जाता है और अपने ही दादा और दादी को मिलने से पहले ही वो अपने दादाजी को मार देता है तो इस हालत में उसके पिताजी का भी जन्म नहीं हो पाएगा और उसका खुद का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा।

इस पैराडॉक्स और कुछ साइंटिफिक समीकरणों के चलते भौतिक शास्त्र स्टीपन हॉकिंस का कहना है कि हम भविष्य में समय यात्रा कर सकते हैं लेकिन भूतकाल में कभी नहीं कर सकते।

5. Smullyan’s Paradox

मान लीजिए कि एक रेगिस्तान में A, B और C नाम के तीन दोस्त एडवेंचर के लिए निकलते हैं। अब किसी कारण से A और B को C पसंद नहीं है। तो वह दोनों ही अपनी स्वतंत्र इच्छा से C को मारने की साजिश करते हैं। अब A नाम का व्यक्ति C नाम के व्यक्ति के पानी की बोतल में जहर मिला देता है ताकि C को जब रेगिस्तान में प्यास लगे तो वह पानी के साथ जहर पीकर मर जाए।

अब A की यह प्लानिंग B को पता नहीं थी। इसलिए B अपनी तरह से C को मारने की साजिश बनाता है। B C की उस पानी की बोतल में एक छेड़ बना देता है। ताकि डिहाइड्रेशन की वजह से C को पानी ना मिलने पर मर जाए।

अब यह पूरी की पूरी प्लानिंग इंप्लीमेंट करके यह तीनों लोग अलग अलग हो जाते हैं और आखिरकार पानी ना मिलने की वजह से C की रेगिस्तान में डिहाइड्रेशन से मौत हो जाती है।

अब पुलिस आती है छानबीन करती है और सवाल यह पैदा होता है कि C के मौत का गुनहगार कौन है। इस बात पर A यह कहता है कि C ने मेरा जहर पिया ही नहीं इसलिए मैं उसकी मौत का गुनहगार नहीं हूं और दूसरी तरफ B यह कहता है कि पानी की बोतल में छेद करके मैंने C को जहर की वजह से मरने से बचा लिया।

अब इस कशमकश में आखिरकार C तो मारा गया और कानून की नजर में A और B दोनों के दोनों मर्डर का प्लान करने के लिए गुनहगार थे। लेकिन वास्तव में C की हत्या का सही आरोपी कौन है। यह गुत्थी इस कहानी को पैराडॉक्स बनाती है।


तो कैसा लगा आपको हमारे इस दिमाग को चकरा देने वाले ५ पैराडॉक्स | 5 Amazing Paradox का आर्टिकल। आप हमें कमेंट करके अपने बिचार शेयर कर सकते है। औए हमारी टीम से कुछ पूछ भी सकते है इस आर्टिकल से रिलेटेड।

team mysteryinhindi.in

MIH
MIHhttps://mysteryinhindi.in
On my website, https://www.mysteryinhindi.in my team posts highly researched articles on mysterious facts, scientific facts, time travel, and many more interesting topics in हिन्दी language.

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here